पारिवारिक हिंदी स्टोरी। Very Emotional Story | Motivational Kahani Written | Best Hindi Story

Very Emotional Story : मेरा नाम प्रीति है आज मेरी सफलता के पूरे 8 साल बाद मेरे घर पर एक न्यूज़ रिपोर्टर आई हुई थी जो मुझसे मेरी सफलता की पूरी कहानी जानना चाहती थी मुझे बहुत गर्व महसूस हो रहा था क्योंकि पिछले 8 साल पहले मैंने अपने करियर की शुरुआत की थी और इतने सालों में आज मैंने कामयाबी की ऊंचाइयों को छू लिया है मेरी उम्र 29 साल है लोग यह जानकर हैरान होते हैं कि इतनी कम उम्र में इतनी कामयाब कैसे हो गई

हालांकि लोगों को कामयाब होने में कई-कई साल गुजर जाते हैं मगर मुझे कामयाब हुए पूरे 8 साल गुजर चुके थे वह मेरा इंटरव्यू लेने आई थी उसने कहा था कि मैम मैं आपके बारे में सब कुछ जानना चाहती हूं एक लड़की जिसकी उम्र 29 साल है जिसकी अभी तक शादी भी नहीं हुई है उसने मिडिल क्लास फैमिली में जन्म लिया और अपनी मेहनत और काबिलियत से आज वह प्रीति कंस्ट्रक्शन कंपनी की मालकिन के नाम से जानी जाती है

मिस प्रीति आपकी कंपनी शहर की मल्टीनेशनल कंस्ट्रक्शन कंपनियों में पहले नंबर पर आती है जरूर आपने बहुत सारी परेशानियों से गुजर कर और बहुत सारे सैक्रिफाइस करके ही इतना सक्सेस कमाया होगा आखिरकार कोई आसानी से तो कामयाब नहीं होता उसे बहुत सारी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है हम आपकी कामयाबी की दास्ता सुनना चाहते हैं और लोगों को भी आपकी कामयाबी की कहानी सुनाना चाहते हैं

ताकि लोग आपको देखकर कुछ सीखें और आपसे उन्हें एक नई प्रेरणा मिले मैं अपनी कामयाबी की दास्ता सुनाने के लिए तैयार थी यह न्यूज़ रिपोर्टर बिल्कुल ठीक कह रही थी बहुत सी मुश्किलों का सामना करने के बाद आज मैं इस मकाम पर आई थी कि लोग मुझे सिर्फ प्रीति के नाम से नहीं बल्कि प्रीति कंस्ट्रक्शन की मार्केट में प्रीति अहूजा के नाम से जानते थे उसका यही सवाल था कि मैं आपसे आपकी बिजनेस जर्नी के बारे में जानना चाहती हूं

आप प्लीज हमसे और हमारे व्यूवर्स से अपनी सफलता की स्टोरी शेयर कीजिए मैं उस रिपोर्टर की बात पर मुस्कुराई थी जब मैंने जन्म लिया था तो कुछ लोगों ने मेरे पेरेंट से कहा था कि अगर बेटा पैदा होता तो तुम दोनों पति-पत्नी का बुढ़ापे में सहारा बनता मगर मैं तो एक बेटी थी मेरे पेरेंट्स ने कहा कि यही हमारे लिए हमारा बेटा है और यही हमारी बेटी भी है मेरे बाद मेरे पेरेंट्स के यहां कोई औलाद नहीं हुई मैं उनकी पहली और आखिरी औलाद थी

लेकिन फिर भी वह लोग निराश नहीं हुए उन्होंने लोगों के तानों को खामोशी से सुन लिया बल्कि उनको पलटक जवाब दिया कि उनकी बे बेटी है तो क्या हुआ बेटियों को अगर आजादी दी जा बेटियों को अगर आजादी दी जाए तो वह आसमान की ऊंचाइयों को छू लेती हैं और अपने मां-बाप का नाम रोशन करती हैं मैंने एक मिडिल क्लास फैमिली में जन्म लिया था मेरे पापा एक मामूली से इलेक्ट्रिशियन थे मेहनत मजदूरी से अपने परिवार का गुजारा कर रहे थे

बचपन से ही उन्होंने मुझे स्कूल में पढ़ाया था और फिर बड़े होने के बाद उनकी बेटी बहुत समझदार हो गई थी जिन्होंने अपनी बेटी को फूलों की तरह पाला था अब उनकी बेटी उनका ख्याल रखना चाहती थी मुझे जॉब करनी थी मैंने दो-तीन कंपनी में अपना सीवी और इंटरव्यू दिया था मेरी अच्छी क्वालिफिकेशन देखते हुए मुझे एक मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी मिल गई थी मैं इस सबसे बहुत खुश थी वहां पर अब मेरी सैलरी सिर्फ मामूली सी थी

क्योंकि यह मेरी शुरुआत थी मेरा ध्यान हमेशा मेरे काम में ही लगा रहता था जिस दिन से मैंने ऑफिस जवाइन किया था उसी दिन से मैंने अपना सब कुछ उस कंपनी के हवाले कर दिया था शुरू से ही मैं अपनी पढ़ाई को लेकर काफी सीरियस रही थी लेकिन जब मेरी एजुकेशन कंप्लीट हो गई और मैंने ऑफिस जवाइन किया तो मैं अपने काम के लिए ज्यादा सीरियस रहने लगी थी मेरे पेरेंट्स भी हमेशा मुझसे यही कहते थे कि तुम जिस काम को करती हो उसे बड़े मन लगाकर करती हो

उस काम में इतना खो जाती हो कि तुम्हें इधर-उधर कुछ दिखाई ही नहीं देता ऑफिस के बॉस बहुत अच्छे थे मुझे उस कंपनी में जॉब करते हुए अब चार महीने गुजर गए थे लेकिन वह मुझे हर काम के लिए एप्रिशिया मेरी बहुत तारीफ किया करते थे मेरे साथ के काफी सारे लोग वहां काम कर रहे थे मगर मैं एक मामूली सी एंप्लॉई थी मैं अपने काम को काफी हद तक आगे बढ़ाने की कोशिश कर रही थी और हर बार मैं कामयाब भी होती जाती थी

बॉस को मेरा काम बहुत पसंद आता था इसलिए बॉस ने मुझसे एडवाइस लेना शुरू कर दिया और फिर मुझे कंपनी का सीनियर बना दिया गया था चार महीने में धीरे-धीरे अपनी कामयाबी देखते हुए मुझे बहुत खुशी हो रही थी मैंने जब यह खबर अपने पेरेंट्स को सुनाई तो वह लोग खुशी से फूले नहीं समा रहे थे आखिरकार बचपन से लेकर अब तक मेरे पापा ने मेरा बहुत ख्याल रखा था मेरी हर छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी ख्वाहिश को मेरे मुंह से निकलने से पहले ही पूरा कर दिया था

उन्होंने हमेशा मुझे कंफर्टेबल लाइफ दी अब मैं उनको एक ऐसी कंफर्टेबल लाइफ देना चाहती थी जिसमें उनको किसी चीज की कोई कमी ना हो वह लोग भी मेरी तरह सारी जिंदगी सुकून से गुजारे हम लोग छोटे से घर में रहते थे मैंने अपने पेरेंट से वादा किया था कि मैं इतनी कामयाब हो जाऊंगी कि हम इस छोटे से घर में नहीं बल्कि एक बड़े से घर में रहेंगे

और अपने पापा से भी कहा था कि एक दिन आपकी बेटी आपको बड़ी सी गाड़ी लेकर देगी आप उसको चलाना जब आप उसमें बैठकर घर से बाहर निकलोगे तो लोग आपको देखकर कहेंगे कि वह जा रहे हैं गाड़ी में प्रीति के पिताजी यह सब सुनकर मेरे मम्मी पापा बहुत हंसते थे और मुझे आशीर्वाद देते थे कि तुम्हें भगवान एक दिन जरूर कामयाब करेगा और फिर मेरे पेरेंट्स की दुआ मुझे लग गई थी

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मैं धीरे-धीरे इतनी कामयाब होती चली गई कि मुझे अपनी कंपनी की मामूली सी एंप्लॉय से डायरेक्ट कंपनी की मैनेजर बना दिया गया था मेरी सैलरी भी बढ़ गई थी मैंने अपनी गाड़ी भी ले ली थी और बड़ा सा घर भी खरीद लिया था मेरी जिंदगी पूरी तरह से बदल कर रह गई थी पूरे एक साल में मैं कहां से कहां पहुंच गई थी यह मैंने खुद भी नहीं सोचा था आखिरकार यह सब करने के लिए मैंने बहुत सारी मेहनत जो की थी मैं ना तो किसी से फोन पर बात करती थी

और ना ही मैं मोबाइल का फालतू इस्तेमाल करती थी ना मैं अपने दोस्तों के साथ ज्यादा दोस्ती रखती थी और ना ही किसी के साथ घूमने फिरने जाती थी ना मेरे पास इतनी फुर्सत होती थी कि मैं अपने पेरेंट्स के साथ भी बैठकर ढेर सारी बातें करूं ना मैं अपने किसी फैमिली फंक्शन या ओकेज को एंजॉय करती थी मैं पूरी तरह से अपनी कंपनी के काम में इवॉल्व होकर रह गई थी पूरी कंपनी में मेरा ही नाम हो गया था

कंपनी के लोग यह देखकर हैरान होते थे कि मैं उन लोगों के बाद आई थी और फिर भी इतनी कामयाब हो गई थी जबकि वह लोग मुझसे प पहले आए हुए थे फिलहाल मेरा एक साल कंपनी में बहुत अच्छा रहा था क्योंकि वहां के लोग मेरी बहुत इज्जत करने लगे थे जब भी कंपनी में मीटिंग होती थी मैं हर बार अच्छी ही एडवाइस दिया करती थी और मेरी एडवाइस हर बार हमारी कंपनी के प्रोजेक्ट के बहुत काम आती थी हमारे ऑफिस के दो एंप्लॉय थे

सुनील और विकास जो हर बार मुझसे दोस्ती करने की कोशिश करते थे मगर मैं उनसे दूर-दूर भागती थी वह लोग मुझसे बात करते तो मैं उनकी बात का सिर्फ मुस्कुराकर जवाब दे दिया करती थी क्योंकि मुझे ऑफिस में या कहीं बाहर भी लोगों से फालतू बात करने की आदत नहीं थी मैं सिर्फ अपने काम से काम रखने वाली इंसान थी सुबह के टाइम जब मैं ऑफिस जाती थी उन दोनों की भी सेम टाइमिंग होती थी कई बार मेरी मुलाकात उनसे बिल्डिंग के लिफ्ट में हुई थी

क्योंकि ऑफिस की बिल्डिंग बहुत बड़ी थी और हर बिल्डिंग पर अलग-अलग तरह के पोर्शन बने हुए थे जहां पर अलग-अलग तरह के कामों को अंजाम दिया जाता था वह दोनों अब मेरे जूनियर थे क्योंकि पहले मैं उन लोगों के साथ ही काम किया करती थी वो वो दोनों आपस में गहरे दोस्त थे और वहां पर काफी पहले से नौकरी कर रहे थे मेरे हाथ में हमेशा कोई ना कोई फाइल होती थी और मैं उसे रीड कर रही होती थी

ऑफिस में मेरी एंट्री भी कुछ इसी तरह से होती थी जब मैं लिफ्ट में चढ़ जाती थी और ध्यान ही नहीं देती थी कि लिफ्ट में कौन है या फिर कौन नहीं मगर मैंने नोटिस किया था कि वो दोनों हमेशा मेरे साथ ही लिफ्ट में एंटर किया करते थे या फिर मुझसे पहले ही लिफ्ट में मौजूद होते थे क्योंकि मेरा केबिन फ्लोर नंबर चार पर बना हुआ था जबकि जूनियर एंप्लॉय फ्लोर नंबर तीन पर काम करते थे वो दोनों कई बार मेरे साथ मीटिंग में भी गए थे

जब हमारे ऑफिस के मीटिंग रूम में बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की मीटिंग होती थी उन्हें भी प्रोजेक्ट के बारे में बताने के लिए मीटिंग में ऐड किया जाता था लेकिन देखा गया था कि हर बार वह लोग कुछ अच्छी एडवाइस नहीं देते थे हमारी कंस्ट्रक्शन कंपनी को एक बड़ा सा मॉल बनाने के लिए सेलेक्ट किया गया था इसके लिए मीटिंग रखी गई थी क्योंकि यह प्रोजेक्ट हमारी कंपनी और उसकी टीम को पूरे 5 साल में कंप्लीट करने को कहा गया था

जब हमें इस पूरे प्रोजेक्ट के बारे में समझा दिया गया तो उन्हीं दोनों लड़कों में से एक लड़का विकास कहने लगा कि सर मॉल बहुत बड़ा है और बहुत बड़े बिजनेसमैन इस मॉल को बनवा रहे हैं मुझे नहीं लगता कि इस मॉल का कंस्ट्रक्शन 5 साल में कंप्लीट हो जाएगा आई थिंक हमारी कंपनी को कम से कम 7 साल का टाइम लेना चाहिए तभी बॉस ने कहा कि हम लोगों को इंपॉसिबल को पॉसिबल करके दिखाना है

हम तो चाहते हैं कि हम इस प्रोजेक्ट को 5 साल से भी कम कम समय में करें मगर तुम एडवाइस दे रहे हो कि इस काम को हमें 5 साल में भी नहीं बल्कि 7 साल में कंप्लीट करना है तुम्हारी एडवाइस मुझे कुछ ज्यादा पसंद नहीं आई बॉस ने बाकी सारे लोगों से भी कहा था कि आप लोगों की इस बारे में क्या राय है जब मैंने हाथ उठाकर कहा कि सर मैं इस प्रोजेक्ट को 3 साल में बनाकर तैयार कर सकती हूं मेरी इस बात पर सब लोगों ने मुझे चौक कर देखा था

बॉस ने भी मुझे बड़ी हैरानी से देखा और कहने लगी कि मिस प्रिया आप यह जानती हैं कि कोई छोटा-मोटा प्रोजेक्ट नहीं है यह एक बहुत बड़ा प्रोजेक्ट है इस प्रोजेक्ट से हमारी कंपनी की रेपुटेशन जुड़ी हुई है क्योंकि हमारे लिए बहुत बड़े सौभाग्य की बात है कि इस काम के लिए हमें और हमारी कंपनी को सिलेक्ट किया गया है हम नहीं चाहते कि हमारा नाम खराब हो तभी विकास कहने लगा कि सर मैं आपको अच्छी ही एडवाइस दे रहा हूं

जो काम 5 साल में पॉसिबल नहीं है वह काम 3 साल में पॉसिबल नहीं हो सकता आप जानते हैं कि बिल्डिंग की डिजाइनिंग ही लगभग चार-पांच महीने में ब कर तैयार होगी मैंने तभी कहा कि सर मैं डिजाइनिंग भी खुद तैयार कर लूंगी और मैं आपको यह प्रोजेक्ट पूरे 3 साल में कंप्लीट करके दिखाऊंगी मैं इस बात की गारंटी लेती हूं एक बार आप मुझ पर भरोसा करके देखिए बॉस ने कहा कि दैट्ची को काफी गुस्सा आया था क्योंकि उसका मुंह लटक कर रह गया था

इस प्रोजेक्ट पर वह काम करना चाहता था मगर उसके पास कोई बेस्ट आईडिया ही नहीं था इसलिए वह इसको करने के लिए तैयार नहीं हो सका और मुझे सब बधाइयां दे रहे थे क्योंकि मुझे इतना बड़ा कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट पहली बार मिला था जिसको कंप्लीट करने से मैं कामयाब हो सकती थी मैं नहीं जानती थी कि मैं यह सब कैसे करूंगी मगर मुझे खुद पर भरोसा था कि मैं यह सब कुछ कर लूंगी मैं बहुत खुश थी कि मुझे इसका काबिल समझा गया था कि यह काम मुझे सौंप दिया गया था

मगर अभी भी मुझे वह दोनों लिफ्ट में मिलते थे आपस में मेरे बारे में वह शायद कुछ बातें करते थे मगर मैंने कभी उनकी बातों पर ध्यान ही नहीं दिया था एक बार उन दोनों ने मुझसे लिफ्ट में बात करने की कोशिश की थी क्योंकि उस समय लिफ्ट में मेरे और उन दोनों के अलावा कोई भी नहीं था उन्होंने मुझसे कहा कि हम इस कंपनी में पिछले ढाई साल से काम कर रहे हैं आज तक हम इतने कामयाब नहीं हो सके

आखिर तुम ऐसा क्या जादू करती हो जिसकी वजह से 1 साल में ही तुम एक मामूली सी एंप्लॉई से यहां की बड़ी मैनेजर बन गई हो मैंने कहा कि जिस तरह मैं मेहनत करती हूं उसी तरह से तुम लोग भी कर लिया करो मैं कोई जादू नहीं करती यह कहकर मैं लिफ्ट से निकल गई थी अगले दिन फिर से मैं लिफ्ट के अंदर दाखिल हुई थी और वह दोनों भी रोज के मुताबिक लिफ्ट में पहले से ही मौजूद थे जब मेरा ध्यान अपनी एक फाइल को पढ़ने में बिजी था

आज भी वह दोनों आपस में कुछ हुसुर पुसर कर रहे थे मुझे फ्लोर नंबर पांच पर जाना था मैं बटन प्रेस कर कर चुकी थी लगभग 10-15 सेकंड गुजरे थे जब अचानक लिफ्ट से खड़खड़ की आवाज आने लगी थी उस दिन मुझे बहुत इंपॉर्टेंट मीटिंग करनी थी इसलिए मुझे जल्द से जल्द अपने केबिन जाने के बाद सबको इंफॉर्मेशन हो रही थी और मैंने घबराते हुए कहा कि आखिर यह लिफ्ट इस तरह से क्यों हिल रही है व दोनों मुझे देखकर कह रहे थे कि क्या हुआ प्रीति आप बहुत घबरा रही हैं

मैंने कहा यह हिल क्यों रही है मैं बुरी तरह से कांप रही थी मैंने अपनी फाइल बंद की और डर भरी नजरों से दरवाजे की तरफ देखा ऊपर लिखा हुआ साफ-साफ जाहिर हो रहा था कि अब हम तीसरे फ्लोर पर है लिफ्ट में जोर-जोर से खड़खड़ सी आवाज हो रही थी अब मैं वजह समझने की कोशिश कर रही थी कि अचानक लिफ्ट बंद हो गई मैं अचानक लिफ्ट रुकने पर परेशान हो गई थी मैंने दरवाजे को खोलने की कोशिश की तो मैं नाकाम रही थी

लिफ्ट बिल्कुल एक जगह बंद होकर फंस गई थी मैंने घबराकर इधर-उधर हाथ मारे तभी मेरी न सर सुनील और विकास पर गई थी मैं उन्हें देखकर कंफ्यूज हुई थी क्योंकि वह दोनों ही बड़ी बेफिक्र से खड़े हुए थे उन लोगों को जैसे लिफ्ट रुकने से कोई फर्क ही नहीं पड़ा था लेकिन इन दोनों ने मुझसे जो कहा था उसे सुनकर तो मेरे होश उड़ गए थे वह कहने लगे कि आज सुबह से लिफ्ट बंद है तुमने बाहर लगा हुआ साइन बोर्ड नहीं देखा क्या लिफ्ट में कुछ खराबी हो गई है

इसलिए सब लोग सीढ़ियों का इस्तेमाल कर रहे हैं तुम इतनी पढ़ी लिखी होते हुए भी बाहर लगा हुआ साइन बोर्ड नहीं देख सकी मैंने कहा तुम लोगों ने अगर साइन बोर्ड देखा था तो तुम लोग इस लिफ्ट में सवार क्यों हुए तभी सुनील हंसते हुए कहने लगा क्योंकि हमें तो खतरों से खेलने का बहुत शौक है इसलिए यह कहकर वह दोनों एक दूसरे को ताली मारकर जोर-जोर से हंसने लगे थे मैंने कहा व्हाट नॉनसेंस उसकी बात सुनकर तो मैं पागल हो गई थी

वह ऐसे बोल रहे थे जैसे लिफ्ट बंद होना कोई मामूली बात हो लिफ्ट का खराब होना तो सच में एक मामूली सी बात थी लेकिन इसे ठीक किया जा सकता था मगर यह कितनी देर में ठीक होगी मेरी मीटिंग का टाइम निकल जाएगा लोग सोचेंगे कि आज मैं ऑफिस नहीं आई हूं क्योंकि कोई भी यह नहीं जानता था कि मैं लिफ्ट में फंसी हुई हूं मैंने ऑफिस के काफी सारे लोगों को कॉल लगाने की कोशिश की मगर लिफ्ट बंद होने की वजह से मेरे फोन में नेटवर्क नहीं आ रहे थे

मैं बहुत परेशान हो गई थी मैंने उनसे कहा कि जब मैं लिफ्ट के अंदर दाखिल हो रही थी तब तुम लोगों ने मुझे इस बारे में क्यों नहीं बताया मुझे रोका क्यों नहीं मैंने तो अपनी फाइल पर ध्यान देने की वजह से किसी साइन बोर्ड पर ध्यान नहीं दिया था सुनील कहने लगा अरे आप तो बहुत इंटेलिजेंट है आपको तो कुछ भी समझाने की जरूरत नहीं है हमें लगा आपने साइन बोर्ड भी देख लिया होगा और हमारी तरह जानबूझकर आप भी इस लिफ्ट में आ गई

वह दोनों कहने लगे कि कोई बात नहीं ऐसा कभी-कभी हो जाता है इसमें हमारी कोई गलती नहीं है वो लोग बड़े ही बेफिक्र थे मगर मेरा तो सर चकरा कर रह गया था मुझे मेरे दिमाग ने यह वक्त दिखा दिया था अगर मैं फाइल पढ़ने में इतनी बिजी ना होती देखकर चलती तो जरूर मैं साइन बोर्ड देख लेती मैं उस समय समझ नहीं पाई थी कि इन दोनों ने मेरे साथ कोई चाल चली है उन्होंने मुझे सिर्फ इसलिए नहीं बताया कि हम एक साथ लिफ्ट में बंद हो जाएं

उन्होंने लिफ्ट की खराबी का फायदा उठाया था उन्हें बिल्कुल महसूस नहीं हो रहा था कि बंद लिफ्ट में हमारे साथ कोई भी प्रॉब्लम हो सकती थी उन दोनों ने बताया था कि लिफ्ट को ठीक होने में दो-तीन घंटे का टाइम लग सकता है और दो-तीन घंटे एक छोटी सी लिफ्ट में बंद रहने का सोच सोच कर मेरी तो हालत ही खराब होने लगी थी मुझे लगा कि मेरा दिल बंद हो जाएगा मेरा शरीर कांपने लगा था मैं दीवार का सहारा लेते हुए नीचे गिरसी गई थी

बाहर साइन बोर्ड ना देखने की गलती मुझे सता रही थी मुझे अपनी गलती पर बेहद पछतावा हो रहा था विकास और सुनील पर भी बहुत गुस्सा आ रहा था जो साइन बोर्ड को देखने के बाद भी अनदेखा करके लिफ्ट के अंदर आ गए और मुझे भी इस बारे में कुछ नहीं बता आया था मेरी हालत बहुत खराब होती देखकर वह दोनों मुझे फिक्र जताते हुए मेरे बराबर में आकर बैठ गए थे मुझे तसल्ली यां देने लगे मेरे कंधे पर हाथ रखकर बहाने बहाने से मेरे करीब बैठ गए

और कहने लगे अरे प्रीति आप इतना परेशान क्यों हो रही हो लिफ्ट खराब होना तो एक नॉर्मल सी बात है अभी थोड़ी देर में ठीक हो जाएगी वक्त गुजरने का पता भी नहीं चलेगा तुम यहां पर अकेली तो नहीं हो हम भी तो तुम्हारे साथ यहीं पर बैठे हुए हैं मैंने ने रोना शुरू कर दिया था मैं बहुत परेशानी में घिर चुकी थी उन दोनों का करीब आना मैं महसूस नहीं कर सकी मैं रोने में बिजी थी और मेरी हालत भी खराब हो चुकी थी

मगर मैंने उन दोनों के हाथ अपने कंधों से सरक कर अपनी कमर की तरफ जाते हुए महसूस किए तो मुझे एक जोरदार झटका सा लगा था मैंने उन्हें हैरानी से देखा और कहा यह तुम क्या कर रहे हो तुम्हें ऐसी हरकत करते हुए शर्म आनी चाहिए मेरा चेहरा गुस्से से लाल हो रहा था मगर वह कहने लगी कि लिफ्ट तो बंद हो चुकी है दो-तीन घंटे तक नहीं खुलेगी तब तक हम ऐसे ही बैठे रहेंगे तो बोर हो जाएंगे और इस लिफ्ट के अंदर घबराहट भी महसूस होने लगेगी

उन दोनों ने कहा कि आज हमें तुमसे दोस्ती करने का बहुत अच्छा मौका मिल गया वैसे भी तुम अपने काम में इतनी बिजी रहती हो कि हमसे बात तक नहीं करती तुम बहुत घमंडी लड़की हो काफी टाइम से हम तुमसे बात करने की कोशिश कर रहे हैं मगर तुम हमें नजर उठाकर तक नहीं देखती इस कंपनी में कोई ऐसी लड़की नहीं है जो पर ना मरती हो एक तुम ही ऐसी लड़की हो जो हमेशा हमें अपना एटीट्यूड दिखाती रहती हो और एक बात तो बताओ

तुम्हें किस बात का घमंड है तुमने जिस दिन से इस कंपनी में कदम रखा है सबको अपना दीवाना कर लिया है तुम बेहद खूबसूरत हो मगर इतनी समझदार कैसे हो कि तुमने बॉस का दिल जीत लिया यहां हम इतने सालों से इस कंपनी में नौकरी कर रहे हैं बॉस का दिल जीतने की कोशिश कर रहे हैं मगर तुमने तो एक साल में ही यहां हमें सबसे जलील करवा कर रख दिया दिया यहां तक कि कंपनी की मैनेजर बन गई हमारे सारे जूनियर हमारी बेइज्जती करते हैं

बात-बात पर हमारी मजाक बनाते हैं कि कल की आई हुई लड़की आज कहां से कहां पहुंच गई जबकि तुम लोग ना जाने कितने टाइम से यहां पर नौकरी कर रहे हो अपनी इस पोस्ट से आगे ही नहीं बढ़ पा रहे हो हमें तुमसे जलन होती है तुम्हारी कामयाबी देखकर लोग हमें चिल्लाते हैं बॉस ने तुम्हें प्रोजेक्ट दिया है तो तुम्हारे ज्यादा ही पर लग गए हैं हम देखते हैं कि तुम किस तरह से यह प्रोजेक्ट बॉस को कंप्लीट करके देती हो

आज हम तुम्हारी इज्जत की ऐसी धज्जियां उड़ाएंगे कि तुम किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रहोगी और शर्मिंदगी की वजह से जॉब पर आना तो दूर तुम अपने घर से बाहर भी कदम नहीं निकालो गी उनकी आंखों में मुझे देखते हुए एक अजीब सी चमक पैदा हो गई थी अब मैं समझ गई थी कि वह लोग मुझसे इस बात का बदला लेना चाहते थे कि मैं इस कंपनी में इतनी कामयाब क्यों हो रही हूं और वह मुझसे पीछे क्यों है बस इसी जलन ने उन लोगों के दिल में मेरे खिलाफ एक आग पैदा कर दी दी थी

जिसको वह आज मेरी इज्जत खराब करके बुझाना चाहते थे मैं यहां से कहीं भाग नहीं सकती थी मैंने उन्हें शर्म दिलवाने की कोशिश की मैंने कहा कि तुम मेरे साथ यह अच्छा नहीं कर रहे हो मैं सबको तुम्हारे बारे में बता दूंगी तो सुनील जोर-जोर से हंसने लगा और कहने लगा कि हम तुझे कहीं मुंह दिखाने लायक नहीं छोड़ेंगे तू किसी को हमारे बारे में कुछ क्या बताएगी आज का दिन इस ऑफिस में तेरा आखिरी दिन होगा जब हम तेरी इज्जत खराब कर देंगे

तो तू कभी भी यहां यहां पर कदम नहीं रखेगी और ना ही कभी किसी को कुछ बता सकेगी कि किस तरह से हमने लिफ्ट के अंदर तेरी इज्जत खराब की है मैं जोर-जोर से रो रही थी उन लोगों से रिक्वेस्ट कर रही थी कि प्लीज मुझे छोड़ दो प्लीज मेरे साथ ऐसा मत करो उन्होंने मेरा सामान खींच कर फेंक दिया था और वह मेरे साथ गलत गलत हरकतें करने लगे थे मेरा शरीर डर के मारे कांप रहा था यह लोग अच्छी तरह से जानते थे कि मैं लिफ्ट के अंदर जाऊंगी

इन लोगों ने सब कुछ मुझसे बदला लेने के लिए पूरी प्लानिंग के मुताबिक किया था मैं उन्हें दूर धकेलने की कोशिश कर रही थी मगर उन्होंने मेरे एक टाई से हाथ बांध दिए थे मैं यकीन नहीं कर पा रही थी कि ये लोग मेरे साथ ऐसा भी कर रहे हैं मैं उनके सामने गिड़गिड़ा रही थी मगर उन्होंने मेरी बेबसी का फायदा उठाया था इन लोगों को मेरी कामयाबी से इतनी जलन हो रही थी कि आज ये लोग मेरे साथ यह सब कुछ कर रहे थे मेरी रोती हुई रिक्वेस्ट भी इन लोगों को दिखाई नहीं दे रही थी

सुनील और विकास ने एक-एक करके मेरे साथ बदतमीजी की थी वो दिन मेरी जिंदगी का सबसे खतरनाक दिन था मुझे बार-बार अपने पेरेंट्स की एडवाइस याद आ रही थी जो हमेशा मुझे समझाते रहते थे कि इधर-उधर देखकर चला करो हमेशा अपने काम में इतनी मत खो जाया करो कि तुम्हें अपने आसपास की कोई खबर ही ना हो लड़कियों को बहुत ख्याल रखना पड़ता है मगर मैं तो इस बात पर कभी ध्यान ही नहीं देती थी वह दोनों काफी देर तक मेरी इज्जत के साथ खेलते रहे थे

और बार-बार आपस में बातें कर रहे थे कि अब यह कभी कामयाब नहीं हो सकेगी इसकी जगह इस ऑफिस में अब हमारी इज्जत होगी हम इसकी जगह इस प्रोजेक्ट पर काम करेंगे मैं अकेली थी और वह दोनों हट्ट कट्टे मर्द थे उनकी ताकत मुझसे कई गुना ज्यादा थी मैं बार-बार उन्हें धमका रही थी उन्हें बददुआ देती रही थी मगर मैं उनसे ना छूट सकी काफी समय तक वह दोनों मेरा खूब फायदा उठाते रहे थे मैं इतनी तकलीफ का शिकार हो चुकी थी कि मैं कुछ भी बर्दाश्त ना कर सकी

और ना जाने कब तक लिफ्ट में बेहोश पड़ी रही थी मुझे पता ही नहीं चला कि लिफ्ट किस समय ठीक हुई थी मेरी किस्मत अच्छी थी कि जब मेरी आंख खुली उस समय वहां आसपास कोई भी मौजूद नहीं था वरना लोग मेरे बारे में क्या सोचते मैं जल्दी से उठी और मैंने अपना सारा सामान समेट लिया था और मैं वहां से निकलकर खामोशी से अपनी गाड़ी में बैठकर वापस घर आ गई थी मेरी हालत बहुत बुरी थी मुझसे ढंग से चला भी नहीं जा रहा था

मैंने जैसे ही अपने घर की डोर बैल बजाई मेरी मम्मी दरवाजा खोलते ही मुझे देखकर परेशान हो गई थी क्योंकि ठीक से खड़ी भी नहीं हो पा रही थी उन्होंने मुझे जल्दी से संभाला और मुझे सहारा देते हुए घर के अंदर लेकर गई थी वह बार-बार मुझसे पूछ रही थी कि क्या हुआ है तुम्हें यह क्या हाल हो रहा है तुम्हारा वह बहुत घबरा गई थी वह मुझे सहारा देकर मेरे कमरे तक ले गई थी मेरा हुलिया जितना खराब हो रहा था मेरी मम्मी को सताने लगा कि ना जाने मेरे साथ क्या हुआ है

वह मुझसे पूछने लगी कि तुम्हें क्या हुआ है बेटा तुम तो ऑफिस गई थी और आज तुम ऑफिस से बहुत जल्दी आ गई हो मैंने रोते हुए अपनी मम्मी को बताया कि मैं सुबह जब ऑफिस गई थी तो वहां की लिफ्ट खराब हो गई थी और बंद लिफ्ट के अंदर मेरा दम घुटने लगा था जब लिफ्ट ठीक हुई तो मैं फौरन वहां से निकल कर यहां आ गई क्योंकि मेरी तबीयत ठीक नहीं थी लिफ्ट के बाहर लिफ्ट खराब होने का साइन बोर्ड लग रहा था

मैंने वह नहीं देखा और दो-तीन घंटे लिफ्ट के अंदर बंद रहने की वजह से मेरी हालत ऐसी हो गई मैं चाहकर भी अपनी मम्मी को नहीं बता पाई थी कि मेरे साथ क्या हुआ मैं अपनी इज्जत गवा चुकी थी मेरी मम्मी परेशान नजरों से मुझे देख रही थी मैंने अपना लिया संभाल लिया था मगर फिर भी मेरी मम्मी को चैन नहीं मिल रहा था मेरी हालत देखकर उन्हें शक हो रहा था मेरे अंदर सारी हिम्मत खत्म हो गई थी मेरा मोबाइल मेरे बैग में पड़ा हुआ था

मैं जानती थी कि मेरे नंबर पर ऑफिस से ढेर सारी कॉल्स आ रही होंगी क्योंकि आज किसी ने भी मुझे ऑफिस में नहीं देखा था लोगों को यही लगा होगा कि मैं ऑफिस आई ही नहीं हूं मैं कभी ऑफिस की छुट्टी नहीं करती थी मैंने अपना मोबाइल भी स्विच ऑफ कर दिया था मैं रोते-रोते बेहोश हो गई थी रात तक मुझे होश आया तो मैंने देखा कि मेरे पेरेंट्स मेरे इर्द-गिर्द बैठे हुए थे उनके होश उड़े हुए थे

मुझे आंख खोलते हुए देखकर दोनों मुझसे पूछने लगे कि अब कैसी हो बेटा मैंने उन्हें तसल्ली दी कि मैं बिल्कुल ठीक हूं हालांकि मुझे अपना सर भारी होता महसूस हो रहा था तब मेरी मम्मी ने मुझे बताया कि मुझे बहुत तेज बुखार हो गया था लेकिन अब कुछ आराम आया है उन्होंने मुझे खाना खिलाकर दवाई दे दी थी मैं दोबारा नहीं रोई थी क्योंकि मेरी आंखों से आंसू सूख चुके थे मेरे दिल में नफरत का एक गुब्बार सा जमा हो गया था मेरी आंखों से मेरी बेइज्जती का वह नजारा नहीं जा रहा था

मुझे अपनी बेबसी याद आती तो मन करता कि उन दोनों को जान से मार दूं मुझे हैरानी हो रही थी कि वह लोग खुद कुछ नहीं कर सकते थे और मेरी कामयाबी से कितना जल रहे थे सच में इंसान दूसरे की का कामयाबी से बहुत जलता है और जब उसके अंदर जलन की आग भड़कने लगती है तो वह अपना बदला लेकर ही रहता है अगर हम दूसरों से जलन ना रखें और खुद को कामयाब बनाने की कोशिश करें तो हम भी कामयाबी की ऊंचाइयों को छू सकते हैं

मगर लोग ऐसी सोच नहीं रखते वह सोचते हैं कि हम आगे वाले इंसान को पीछे धकेल करर खुद आगे बढ़ सकते हैं मगर ऐसा नहीं होता ऊपर वाला सब कुछ देख रहा है एक ना एक दिन इंसाफ सबके साथ होना है मेरे दिल में उन दोनों के लिए बदले की आग भड़क रही थी हालांकि उस समय मेरी हालत ऐसी नहीं थी कि मैं घर से निकलती या दुनिया का सामना करती मगर सिर्फ अपनी रुसवाई का बदला लेने के लिए मैं उन दोनों से एक बार दोबारा से मिलना चाहती थी

अपनी इज्जत खराब करने और अपनी इज्जत का बदला मेरे सर पर इतना सवार हो गया था कि अगले दिन मैं उठकर ऑफिस जाने की तैयारी करने लगी थी मेरी मम्मी ने मुझे जब तैयार होते हुए देखा तो कहने लगी कि तुम्हारी तबीयत ठीक नहीं है बेटा तुम कहां जा जा रही हो मैंने सोचा कि आज तुम छुट्टी करोगी मैंने कहा ऐसा मुमकिन नहीं है मुझे एक बहुत इंपॉर्टेंट प्रोजेक्ट मिला है जिस पर मुझे काम करना है और इस प्रोजेक्ट पर काम करना मेरे लिए बहुत जरूरी है

मेरे चेहरे पर परेशानी भरे एक्सप्रेशन देखकर मेरी मम्मी परेशान हो गई थी वह कहने लगी कि तुम अभी ठीक नहीं हो अकेली ऑफिस मत जाओ उन्हें डर था कि मैं फिर से बेहोश हो गई तो क्या होगा मैंने कहा कि आप परेशान ना हो मैं बिल्कुल ठीक हूं अगर मुझे अपनी तबीयत खराब होती हुई महसूस हुई तो मैं घर वापस आ जाऊंगी वैसे तो मैं भी आराम करना चाहती थी क्योंकि मेरी तबीयत सच में ठीक नहीं थी मेरे अंदर हिम्मत नहीं थी कि मैं घर से निकल सकती

मगर मैं उन दोनों लड़कों को सबक सिखा करर ही सुकून से बैठ सकती थी मैंने अपनी मम्मी की नजरों से छुपकर जल्दी से बैग में वह सामान रख लिया था जिसकी मुझे सख्त जरूरत पड़ने वाली थी मेरी मम्मी का ध्यान मुझ पर नहीं था उन्हें बिल्कुल भी आईडिया नहीं हुआ था कि मैं क्या करने वाली थी मैं अपना बैग लेकर वहां से निकल आई थी मैंने नाश्ता भी नहीं किया था मुझे तो किसी भी तरह ऑफिस के लिफ्ट में पहुंचने की जल्दी थी मैं कमजोर लड़की थी

मगर अपने साथ हुई जगती भुलाना मेरे लिए आसान नहीं था मैं बाकी लड़कियों की तरह जुल्म झेलना नहीं जानती थी मैं सुशील और विकास को बताना चाहती थी कि वह दोनों मेरे साथ कितनी बड़ी गलती कर चुके हैं आगे वह मेरी जगह किसी और काबिल लड़की को उसकी कामयाबी से ना जले मैं ऐसे काम से उन्हें रोकना चाहती थी मैं जल्दी-जल्दी ऑफिस पहुंच गई थी हालांकि एक दिन पहले मुझ पर जो जुल्म हुआ था उसकी वजह से आज लिफ्ट की तरफ कदम बढ़ाते हुए मेरे कदम लड़खड़ा रहे थे

मगर मैं हिम्मत करके इस लिफ्ट में दाखिल हुई वह दोनों अभी तक नहीं पहुंचे थे मुझे लगा शायद आज वह ऑफिस नहीं आएंगे जो जुर्म वह कर चुके थे शायद वह उस पर शर्मिंदा होंगे लेकिन थोड़ी देर के बाद वह दोनों सामने से हंसते हुए लिफ्ट के अंदर दाखिल हुए थे उनके चेहरे पर कोई डर और पछतावा नहीं था मैं लगातार उनकी तरफ देख रही थी आज मैंने अपना ध्यान किसी भी फाइल में नहीं लगाया था जब उन दोनों ने मुझे लिफ्ट में खड़ा देखा तो एक मिनट के लिए वह भी शॉक्ड रह गए थे

पहले तो उनके चेहरे पर परेशानी जाहिर हुई थी मगर जब मैंने रोज की तरह अपनी फाइल खोली और अपना ध्यान उसमें लगा लिया तो वह दोनों बड़े ही बेफिक्र हो गए थे वह आपस में बातें कर रहे थे कि लगता है अभी तक मैडम की चर्बी उतरी नहीं है हमें तो लगा था कि अब से मिस प्रीति ऑफिस ही नहीं आएंगी मगर इनका तो काम पर बड़ा ही ध्यान है लगता है आज फिर से मिस प्रीति यहां हमारे हाथों अपनी इज्जत खराब करवाने के लिए चली आई हैं

मगर आज लिफ्ट खराब नहीं है आज तो लिफ्ट ठीक हो गई है तभी दूसरा वाला लड़का विकास कहने लगा कि अरे नहीं नहीं ऐसा लगता है कि मिस प्रीति ने अपने हथियार फेंक दिए हैं शायद वह यह प्रोजेक्ट हमारे लिए छोड़ना चाहती हो और अपनी शर्मिंदगी मिटाने के लिए दोबारा से ऑफिस आ गई हूं यह कहकर वह दोनों जोर-जोर से हंस रहे थे मगर मैं उनकी बातों पर कोई ध्यान नहीं दे रही थी अब लिफ्ट फोर्थ फ्लोर पर आकर रुक गई थी

जब मैंने दोबारा से लिफ्ट का बटन दबाकर उसे नीचे कर दिया लिफ्ट नीचे जाने लगी तो वो दोनों कहने लगे कि ये तुम क्या कर रही हो लेकिन फिर झट से लिफ्ट ऊपर की तरफ आ गई थी तो फिर मैंने झट से बटन दबाकर लिफ्ट को नीचे की तरफ छोड़ दिया व कहने लगे कि पागल हो गई हो क्या हमें अपने केबिन की तरफ उतरना है मैंने उनकी तरफ बढ़ते हुए कहा कि इतने भी क्या जल्दी है आज लिफ्ट खराब नहीं है ठीक है हम लोगों के बीच आपस में बातें नहीं हो सकेंगी

अगर मुझे तुम लोगों से बातें करनी है तुम लोगों को अपना दोस्त बनाना है अब जो बातें मैं तुमसे करना चाहती हूं वह ऑफिस के सारे लोगों के सामने तो नहीं कर सकती ना लिफ्ट नीचे आती तो मैं उसे ऊपर कर दिया करती थी और लिफ्ट ऊपर जाती तो मैं उसे बटन दबाकर नीचे कर दिया करती थी बार-बार मैं यही कर रही थी और उनसे बातें कर रही थी मैंने उन दोनों से कहा था कि मैं तुम दोनों से दोस्ती करना चाहती हूं मुझे तुम्हारी उस दिन वाली हरकत पसंद आ आई थी

ऐसा भी हो सकता है ना कि तुम लोग मेरे साथ टाइम पास कर लो मेरी बात सुनकर वह दोनों खुश हुए थे उनके चेहरे पर एक अजीब सी चमक आ गई थी रही मेरी कामयाबी की बात तो मैं सब कुछ तुम लोगों के लिए छोड़ दूंगी अब मैं क्या करूं मेरी इज्जत तो तुम दोनों खराब कर चुके हो अगर तुम दोनों ने उस दिन वाली हरकत की बात सबको बता दी तो मेरी ऑफिस में बड़ी ही इंसल्ट होगी इसलिए मैं खुद ही बॉस से कहकर वह प्रोजेक्ट तुम लोगों को दिलवा दूंगी

मेरी बात सुनकर वह खुश हुए थे और कहने लगे कि हमें तुमसे उम्मीद नहीं थी कि तुम इतनी जल्दी संभल जाओगी हमें तो लगा था कि अब तुम ऑफिस ही नहीं आओगी नॉर्मली लड़की अपनी इज्जत खराब होने के बाद घर में मुंह छुपाकर बैठ जाती हैं वह लोग जिस तरह की बातें कर रहे थे मैंने उन्हें टोका नहीं था मैं धीरे-धीरे उनके करीब गई मैं जानती थी कि वह एक बार जो गलती मेरे साथ कर चुके हैं मौका मिलने पर दोबारा भी कर सकते हैं

मेरा ख्याल बिल्कुल ठीक था वह दोनों मेरे करीब खड़े हो गए थे बार-बार लिफ्ट ऊपर नीचे जा रही थी मैंने अपना बैग एक तरफ रख दिया था अब वह दोनों लिफ्ट के बटन को बार-बार दबाते और इसी काम में बिजी हो गए थे व लिफ्ट खुलने नहीं दे रहे थे मेरे करीब आकर वह दोनों फिर से वही हरकत दोहराने लगे आज मैं उनसे अपनी बेइज्जती का ऐसा बदला लेने आई थी जो इन लड़कों को सारी जिंदगी याद रहने वाला था

जब इन्होंने दूसरी बार मेरे साथ जबरदस्ती करने की कोशिश की तो ठीक उसी समय पर मैंने अपने बैग से वह चीज निकाली जो मैं घर से लेकर आई थी वो दोनों ना समझी से मुझे ऐसे देखने लगे जैसे वह मेरी हरकत को समझे ही ना थे मेरी अगली हरकत ने उनकी चीखें लिफ्ट में ही बंद कर दी थी मैंने फुर्ती से अपने फ्लोर वाला बटन दबा दिया वो दोनों पागलों की तरह अपने शरीर को छूते और चीक चीक कर बेहाल हो रहे थे

लिफ्ट खुली तो मैं वहां से फौरन ही निकल गई थी वो बिल्कुल एक दिन पहले वाला नजारा था फर्क सिर्फ इतना था कि उस दिन मैं लिफ्ट में तड़प रही थी और आज इतना है कि वो दोनों इस लिफ्ट में तड़प रहे हैं और मैं खामोशी से वहां से भाग निकली पकड़े जाने के डर से मेरे चेहरे का रंग उड़ा हुआ था मैंने लिफ्ट ग्राउंड फ्लोर पर रोक दी थी और मैं वहां से निकलकर डायरेक्ट अपने घर आ गई थी और आज भी किसी को पता नहीं चला था कि मैं ऑफिस आई हूं

दो-तीन दिन तक मैं अपने घर पर रही थी मैंने अपना मोबाइल भी ऑन नहीं किया था लेकिन जब पूरे एक हफ्ते के बाद मैंने अपना मोबाइल ऑन किया तो मोबाइल ऑन करने के दो-तीन घंटे बाद ही मेरे मोबाइल पर बॉस की कॉल आई थी उन्होंने मुझे बहुत डांट लगाई थी कि तुम इतने दिनों से कहां हो तुम्हें याद है ना कि तुम्हें कितना इंपॉर्टेंट प्रोजेक्ट दिया गया है तुम उस पर काम भी कर रही हो या नहीं देखो मिस प्रीति आपकी वजह से हमारी कंपनी की रेपुटेशन खराब नहीं होनी चाहिए

हमने बहुत भरोसा करके आपको यह प्रोजेक्ट दिया है बॉस की थोड़ी बहुत डांट सुनाई तो मेरे लिए बनती थी इसलिए मैं खामोशी से उनकी कही हुई सारी बातें सुनती रही और अगले ही दिन से मैंने ऑफिस जवाइन कर लिया था जब मैं अपने ऑफिस गई तो मुझे पता चला कि ऑफिस के जूनियर एडवाइजर एंप्लॉई मिस्टर सुनील और मिस्टर विकास पिछले एक हफ्ते से गायब हैं ना जाने वह दोनों कहां चले गए अभी तक वह ऑफिस नहीं आए हैं

यह खबर सुनकर मैं बेहद ही खुश हुई थी क्योंकि मैं समझ गई थी कि अब वह दोनों यहां वापस आ भी नहीं सकते मैंने उनके साथ किया ही कुछ ऐसा था दरअसल लिफ्ट में वह दोनों जब मेरे साथ जबरदस्ती करने की कोशिश कर रहे थे तो मैंने झट से अपने बैग से तेजाब की बोतल निकाली थी और उन दोनों के शरीर के निचले हिस्से में डाल दी थी उन दोनों का निचला शरीर बिल्कुल बेकार हो गया था वह अब मेरी इज्जत क्या बल्कि किसी भी लड़की की इज्जत खराब करने के काबिल नहीं रहे थे

और इसी बदनामी के डर से और इसी बदनामी के डर से कि ऑफिस में किसी को यह बात पता ना चल जाए कि किसी ने उनके शरीर के निचले भाग पर एसिड अटैक किया है वह दोनों वहां से बचते बचाते बड़ी मुश्किल से निकल गए थे और फिर वह कभी ऑफिस ही ना आ सके मैं बहुत खुश हुई थी कि मैंने उन दोनों से अपना बदला ले लिया था वह दोनों चाहते थे कि मैं अपनी इज्जत खराब होने के डर से घर में खामोशी से बैठ जाऊं मगर मैं ऐसी लड़की नहीं थी

उन दोनों ने मेरे साथ जैसा करने का सोचा था मैंने उनके साथ ठीक वैसा ही किया था अब वह दोनों सारी जिंदगी पिता नहीं बन सकेंगे और ना ही उनकी शादी हो सकेगी ऑफिस में किसी को पता ही नहीं चला कि वह दोनों कहां गए उनके साथ क्या हुआ क्योंकि उन दोनों ने भी अपने मोबाइल स्विच ऑफ कर दिए थे और फिर उस दिन के बाद से मैं बहुत सावधान रहने लगी थी क्योंकि मैं नहीं चाहती थी कि उन दोनों जैसे और किसी से मेरा सामना हो

और फिर पूरे 3 साल दिन रात मेहनत करने के बाद मैंने वह प्रोजेक्ट कंप्लीट कर दिया था जिस पर मेरी बहुत वाहवा हुई थी एक अवार्ड फंक्शन रखा गया था जहां पर मुझे कंपनी की तरफ से अवार्ड द्वारा सम्मानित किया गया था मेरे बॉस ने कहा था कि जो काम हम 5 साल में कंप्लीट नहीं कर पाए वह काम मिस प्रीति ने पूरे 3 साल में हमें कंप्लीट करके दिया हमारी कंपनी को मिस प्रीति जैसी होनहार मैनेजर की जरूरत है और फिर उस दिन के बाद से मैं काम काब होती चली गई

मेरी वजह से मेरी कंपनी ने भी बहुत नाम कमाया था वक्त इसी तरह से गुजरता गया और फिर मैंने वक्त के साथ-साथ अपनी प्रीति कंस्ट्रक्शंस के नाम से एक मल्टीनेशनल कंस्ट्रक्शन कंपनी खोल ली और इस तरह बहुत सारे सैक्रिफाइस और मुश्किलों का सामना करने के बाद मैं आज आपके सामने बैठकर आपको अपना इंटरव्यू दे रही हूं मेरी स्टोरी सुनकर रिपोर्टर की आंखों में आंसू आ गए थे उन्होंने मुझसे कहा कि हर लड़की को आपकी तरह बहादुर होना चाहिए

हर लड़की को आपकी स्टोरी सुनने के बाद यह मैसेज मिलना चाहिए कि डर कर कभी कुछ नहीं होने वाला लोग आपको कामयाब होते हुए देखेंगे आपसे जलेंगे आपको बुरा कहेंगे मगर आपको डरना नहीं है आपको डटकर कड़ी मुश्किलों का सामना करना है उन्होंने कहा कि मिस प्रीति क्या आप हमें उस कंपनी के बारे में बता सकती हैं जहां पर आपके साथ यह हादसा हुआ था क्योंकि सोचने वाली बात है कि आपके साथ और उन दोनों लड़कों के साथ इतना बड़ा हादसा हो गया था

लेकिन आज तक उस ऑफिस के किसी भी मेंबर को यह बात पता नहीं चल सकी कि वह दोनों लड़के कहां चले गए मैंने उनको ना तो लड़कों के बारे में ज्यादा कुछ बताया और ना ही अपनी कंपनी के बारे में बताया क्योंकि इस बात को काफी साल बीत गए हैं और मैं अपनी कंपनी के रेपुटेशन खराब नहीं करना चाहती थी क्योंकि मीडिया वाले वैसे भी बात का बतंगड़ बनाने में कोई कमी नहीं छोड़ते तो यह थी

मेरी कहानी मैं अपनी इस कहानी से सारी लड़कियों को यह मैसेज देना चाहती हूं कि जो लड़कियां बदनामी के डर से घर में छुपकर खामोश बैठ जाती हैं रोती धोती रहती हैं अपनी कामयाबी भरी जिंदगी को बीच रास्ते में छोड़ देती हैं तो उन लड़कियों से मैं यह कहना चाहूंगी कि मुश्किलों का सामना करना सीखिए जो आपके साथ जैसा करता है उसको मुंह तोड़ जवाब देना सीखिए उससे बदला लीजिए

हमारे समाज में लड़कियों को इज्जत के नाम पर इतना मजबूर कर दिया जाता है कि वह बेचारी बदनामी के डर से घर से बाहर भी नहीं निकलती लेकिन आपको अपने लिए जुल्म के खिलाफ आवाज उठानी होगी डरने से रोने धोने से काम नहीं चलेगा बल्कि हर मुश्किल के लिए कड़े वक्त के लिए अपने आप को तैयार करें मजबूत बनाएं जुल्म के खिलाफ आवाज उठाएं और खुद को इतना कामयाब बनाएं कि दुनिया आपकी मिसाल दे दोस्तों उम्मीद करती हूं आपको हमारी कहानी पसंद आई होगी

Mastram Hindi Story

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